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Tuesday, 12 December 2017

दाढ़ी



यूं ही कभी एक दोस्त ने बात बात में कह दिया कि तुम्हारी दाढ़ी देख कर दाढ़ी रखने की इंस्पिरेशन मिलती है। यूं ही कभी परिवार वालों ने मज़ाक मज़ाक में कह दिया कि जानवर लगने लगे हो, दाढ़ी काट लो। यूं ही कभी किसी आदरणीय ने गुस्से गुस्से में कह दिया कि दाढ़ी साफ हो जानी चाहिए नहीं तो समझे रहना।

बहुतों ने आलोचना की, बहुतों ने तारीफ, मगर गौर करने वाली बात है कि मेरे अपने मन ने इसे कैसे अपनाया है।
दाढ़ी मेरे लिए आलस की निशानी नहीं है। महीने में एक या दो बार बाल कटवाने जाता ही हूँ। सिर्फ इशारा करना होता है और दाढ़ी साफ हो सकती है। 

दाढ़ी मेरे लिए स्टाइल स्टेटमेंट भी नहीं है। मैं स्टाइल बदलते रहने वाले लोगों में से हूँ। डेथ टू रेज़र, लौंग लिव बियर्ड के दौर से ब्रेक द बियर्ड दौर को अपना सकता हूँ।


र मैंने अपने लिए दाढ़ी चुनी है। अपने जीवन में इसे जगह दी है। अपने अस्तित्व में इसे भी एक छोटा सा कोना दिया है क्योंकि ये दाढ़ी मेरे वजूद का हिस्सा है। ये दाढ़ी ना मेरी पहचान है, ना ही मैं इसे अपनी पहचान बनाना चाहता हूँ, ये दाढ़ी मेरे जीने का तरीका है।

जब मन में काम की उलझन हो, दिमाग ने सोचना बंद कर दिया हो, तब महज़ दाढ़ी के स्पर्श से ही दिमाग और मन सरपट भागना शुरू कर देते हैं।
ठुड्डी से एक इंच नीचे लटक रही दाढ़ी को उंगलियों से घुमाने की खुशी, ग़ालिब की महबूबा की उलझी लटों को सुलझाने से ज़्यादा खुशनुमा एहसास दे जाती है।
किसी की गंभीर बातों को मूंछों पर ताव देते हुए सुनने से लगता है जैसे बात दिमाग से होते हुए सीधे दिल में उतर रही है।
नहाने के बाद कंघी से बाल झाड़ने के साथ दाढ़ी को झाड़ने से जो पूर्णता का अनुभव होता है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
किसी और के द्वारा आपकी दाढ़ी को घूरे जाने से जो गर्व का एहसास होता है, वो अद्वितीय है।


मैं इस बात के खिलाफ हूँ कि दाढ़ी से ही मर्द की असली पहचान होती है, या मूंछ नहीं तो कुछ नहीं। इन बातों से दाढ़ी के लिए जो इबादत का पहलू है वो छिछला दिखाई पड़ने लगता है।


दाढ़ी मेरे लिए शिव के सर पर आसीन चंद्रमा के समान है, किसी सागर में छोटे से टापू के समान है, किसी गुलाबी होंठ के नीचे मासूम से तिल के समान है, किसी ब्राह्मण के श्वेत जनेऊ के समान है। दाढ़ी अंत का प्रतीक नहीं, पूर्णता का प्रतीक है। दाढ़ी महज़ मर्द होने का प्रतीक नहीं, मर्द के पुरषार्थ का प्रतीक है।
आप पुरुष हैं और आपकी दाढ़ी नहीं उगती या आपको क्लीन शेव रहना पसंद है, तो मेरी इज़्ज़त आपके लिए कम नहीं होगी क्योंकि वो आपके जीने का तरीका है। वैसे ही दाढ़ी मेरे लिए मेरे जीने का तरीका है।


#जियो_और_जीने_दो
#आशुतोष