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Saturday, 18 April 2020

मेरा पहला सफेद बाल

सुबह शीशे के सामने खड़े हो कर ब्रश करना इसलिए भी ज़रूरी होता है जिससे चेहरे को अलग-अलग एंगल से देर तक देखा जा सके। आज की सुबह भी अलग नहीं थी। ब्रश करते-करते चेहरे के तमाम हिस्सों पर नज़र दौड़ रही थी कि तभी सर पर नज़र पड़ी और मैं हैरान रह गया! माथे के ठीक ऊपर वाले बालों पर एक पतला, कमज़ोर सा बाल सफेद दिखाई दे रहा था। पहली नज़र में तो लगा कि लाइट शायद इस अंदाज़ से पड़ रही होगी कि बाल चमक रहा होगा। मगर मामला गंभीर था तो अंदाज़े पर रफा-दफा करना ठीक नहीं था। उसी वक़्त ब्रश करने जैसे निरर्थक कार्य को बीच में ही समाप्त कर के मैंने बड़े ही एहतियाद से बाल को परखना शुरू किया। उस पतले, कमज़ोर और महीन बाल का रंग वाकई सफेद हो चला था। 
क्या मैं बूढ़ा हो रहा हूँ? क्या अभी से सारे बाल पक जाएंगे? सवाल तो मन में कई उठ रहे थे मगर उन सवालों के बारे में सोच कर चिंता नहीं हो रही थी। खयाल आया कि जॉर्ज क्लूनी की तरह सारे बाल सफेद कर लेंगे। या डॉक्टर स्ट्रेंज की तरह दोनों तरफ की कलम के आसपास के बालों को सफेद छोड़ कर बाकी के बालों को काला रंग लिया जाएगा। 
कुछ वक्त बाद लगा कि अभी उम्र ही क्या है, इतनी जल्दी तो बाल नहीं सफेद होना चाहिए था, फिर ध्यान आया कि स्कूल के दौरान ही कुछ दोस्तों के बाल सफेद हो गए थे। 
वैसे देखा जाए तो बाल हमेशा के लिए सफेद हो जाना कितना अजीब है ना! आधी ज़िंदगी बाल के जिस रंग की आदत हो गयी थी अब बाल वैसे न रह कर उस रंग के हो जाएंगे जिससे लोग आपको बुज़ुर्ग समझने लगेंगे। एक बार गुरुजी ने कहा था कि बाल पक जाने का अलग आनंद होता है, मगर अब महसूस हो रहा है कि उन्होंने ये तो बताया ही नहीं कि जब सर पर पहला सफेद बाल दिखाई दे तो उसे अपनाया कैसे जाए। ज़ुल्फ़ों पर हाथ फेरने में डर बना रहेगा कि कहीं वो एक बाल टूट गया और उससे सारे बाल सफेद हो गए तो! 
कुछ देर के लिए अजीब सा एहसास होता रहा। न जाने किस बात का...फिर बालों को झाड़ने के बाद वो सफेद बाल आसानी से नज़र नहीं आया इसलिए उस पर से ध्यान हट गया। वैसे अब मैं भी आधिकारिक रूप से कह सकता हूँ कि मैंने धूप में बाल नहीं सफेद किये हैं!
#आशुतोष

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