लेखक: आशुतोष अस्थाना
(मेरे पहले दोस्त की स्मृति में....)
लारा ये सब सुन रहा था और सोच रहा था की अब जब उसका दुश्मन मिल गया है तो उसे
क्या करना चाहिए. उसने फैसला किया और उनसे लड़ने के लिए तयार होगया. वो धीरे से उस
दीवार के पीछे से निकला और सामने आके खड़ा होगया. “मैंने सुना है की तुझे वो इलाका
चाहिए!” सब उसकी ओर चौंक के देखने लगे और उनमें से एक ने बोला, “कौन है बे तू? और
यहाँ हमारे इलाके में क्या कर रहा है?” लारा शेरू की ओर घुर रहा था, और बोला, “मैं
वही हूँ जिसके दोस्त को तुमने अभी-अभी घायल किया है और जिसके पिता और दादा की जान
तुमने ली है! मैं उस इलाके का रखवाला हूँ!” लारा की बात सुन कर शेरू हँसने लगा और
हँसते-हँसते बोला, “तुम्हे क्या लगता है की तुम मुझसे लड़ लोगे! तुम्हारी इतनी
हिम्मत!” “हिम्मत तो इतनी है की तुम जैसे दस से लड़ लूँ, पर अभी तुमसे ही काम चला
लूँगा, वैसे ये बता तेरी शक्ल तो सूअर की तरह है, तुम तो कुत्ते के नाम पे कलंक
हो!” इतना कह कर लारा भी हँसने लगा. शेरू का गुस्सा उसकी बात सुन कर सातवें आसमान
पर था.
सभी कुत्तों ने लारा के ऊपर हमला कर दिया, शेरू वही खड़ा देख रहा था. लारा की
शक्ति भी किसी कुत्ते से कम नहीं थी और सिर्फ अपने एक पंजे के वार से लारा ने सारे
कुत्तों को धूल चटा दी थी. अब सिर्फ लारा और शेरू एक दूसरे के आमने-सामने खड़े थे.
अँधेरा घना था, ठंडी हवाएं चल रही थी लेकिन माहौल बहुत गरम था. लारा के दिल की
धड़कने तेज़ सुनाई देरही थी. दोनों एक दूसरे को गुस्से से देख रहे थे, शेरू के
नुकीले दांत लारा को चीर डालने के लिए बेताब थे और लारा के पंजे कई दिनों से जिस
अनजान दुश्मन को नोचने के लिए आतुर थे वो अब सामने ही खड़ा था.
शेरू दौड़ते-दौड़ते
लारा की तरफ भागा, लारा भी उसकी तरफ भागा कुछ दूर से ही दोनों एक दूसरे के ऊपर उछल
कर झपट पड़े. पूरे इलाके में उन दो खूंखार कुत्तों के लड़ने की आवाज़ गूंज रही थी.दोनों
अपने-अपने पंजो से एक दूसरे पर वार कर रहे थे. बड़ा शरीर होने के कारण शेरू लारा से
कम फुर्तीला था और लारा इसी कमी का फायदा उठा रहा था. पर शेरू से टक्कर लेना लारा
को भरी भी पड़ रहा था. एक खतरनाक पंजे के वार से शेरू ने लारा की पीठ पर बहुत गहरा
घाव बना दिया था. लारा को बहुत दर्द होरहा था लेकिन फिर भी अपने दोस्त को किया हुआ
वादा उसे याद आरहा था. उसने अपनी फुर्ती दिखाते हुए शेरू के मुह पे हमला किया और
अपने दांतों से उसके जबड़े को काट लिया. शेरू को अब अपना मुह खोलने में तकलीफ होरही
थी. तभी उसने अपने पंजे से लारा की आँख में मारा, और साथ ही उसके चेहरे पे भी काट
दिया. लारा ने उसे ज़ोर से धक्का दिया और वो ज़मीन पे गिर गया. लारा भी ज़मीन पे गिरा
था, उसे लगा यही मौका है उसे खत्म करने का, तो लारा ने आखिरी बार पूरा ज़ोर लगाया
और हिम्मत कर के उठ खड़ा हुआ. वो शेरू के पास गया और उसके पेट को अपने दांतों से
चीर दिया!
शेरू की चीख कुछ देर में शांत होगई. लारा को उसे मारा देख संतुष्टि हुई. उसने
अपना मुह उसके पेट के अंदर डाल के उसके खून से अपना मुह रंग लिया और घर वापिस जाने
के लिए लड़खड़ता हुआ पीछे मुड़ा. पीछे मुड़ते ही वो चौंक गया. भीकू और दूसरे कुत्ते
कुछ दूर पे खड़े उसे देख रहे थे! लारा उनकी ओर देखा और चिल्ला कर बोला, “मैंने सबको
आज़ाद कर दिया!!”
उस दिन के बाद से उस इलाके में शेरू का खौफ भी खत्म होगया और लारा!, वो सिर्फ
उस इलाके का ही नहीं, उस पुरे शहर के कुत्तों का सरदार बन गया. जीवन ख़ुशी से बीतने
लगा. लारा और भीकू के दोस्ती के किस्से शहर के कुत्तों में लोकप्रीय होगये सब लारा
की बहुत इज्ज़त करने लगे थे. उसने भी वही दर्जा पा लिया था जो भीकू के दादा का था.
देखते ही देखते लारा बूढ़ा होता गया. वो दस साल का होचुका था लेकिन मोना के लिए
उसका प्यार कभी कम नहीं हुआ था. वो लारा के साथ खुश थी और उसकी सेवा अभी भी वैसे
ही करती थी जैसे तब जब वो चार महीने का उसके पास आया था. इस दुनिया का कोई भी जीव
किसी से भी जीत जाए, वक़्त से नहीं जीत सकता और लारा भी वक़्त से नहीं जीत पाया. एक
साल बाद वो सब को छोड़ कर चला गया. उसके इलाके के सारे कुत्तों ने उसके लिए आंसू
बहाए, और बिचारा बूढ़ा होचुका भीकू भी अकेला होगया. लारा के जाने के बाद कई इलाकों
में विद्रोही कुत्तों ने राज करना शुरू कर दिया और लारा ने जिस शहर को एक कर दिया
था, उस शहर में फिर से छोटे-छोटे इलाके बन गए जिनपे कई सरदारों ने राज करना शुरू
कर दिया. लारा के इलाके में कोई सरदार नहीं था क्यूंकि वो उसके जाने के बाद भी उसे
ही अपना सरदार मानते थे. मोना बिलकुल अकेली होगई थी. अब वो स्कूल से कॉलेज में आगई
थी लेकिन फिर भी लारा के साथ उसका वैसा ही लगाव था. उसके पिता से उसका दुःख नहीं
देखा जाता था. वो पुरे दिन उसकी फोटो लेकर बैठी रहती थी और रोती थी.
“भीकू चाचा हमे एक सरदार चुनना होगा, नहीं तो फिर से वैसी ही परिस्थिति न पैदा
होजये, और अब तो हमारे पास लारा भी नहीं हैं!” उसी इलाके के एक कुत्ते ने भीकू से
कहा. बूढ़ा भीकू अपने दोस्त को याद कर रोने लगा. “उसकी जगह कोई नहीं लेसकता बेटा,
कोई भी नहीं......”
उधर जब भीकू लारा को याद कर के रो रहा था, तो इधर मोना भी रोज़ की तरह आंसू बहा
रही थी. उस दिन वो 22 साल की होगई थी, और याद कर रही थी की 12 साल पहले आज के ही
दिन उसके पिता लारा को लेकर आये थे. वो अपने कमरे में ही बैठी थी की पिता जी अंदर
आये और बोले, “देखो बेटा तुम्हरा गिफ्ट!” और मोना के बिस्तर पे एक डब्बा रख दिया.
उस डब्बे में वैसे ही ढेर सारे छेद थे. मोना ने आंसू पोचते हुए धीरे से उस डब्बे
को खोला. उसमें काले और भूरे रंग का एक कुत्ते का बच्चा था! मोना ने कुछ नहीं बोला
और पिता जी की ओर देखने लगी. पिता जी ने कहा, “ये तुम्हरा नया दोस्त.” इतना कहकर
पिता जी जाने लगे, लेकिन फिर मुड़े और कहा, “इसका नाम है.....सुल्तान!!!”


